बलरामपुर (वायरलेस न्यूज़) जिले में खुलेआम चल रही है नियम विरुद्ध क्लीनिक बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर में संचालित

*श्री रामकृष्ण केयर क्लीनिक* में खुलेआम लगाई जा रही है इंजेक्शन आपको जानकर हैरानी होगी की 8 महीने के नवजात शिशु को जो चिकित्सक के बताए अनुसार उल्टी दस्त का पीड़ित था उसे चिकित्सक ने 2 के बाद 2 आनन-फानन में 4 इंजेक्शन लगाए और जब बच्चे ने दम तोड़ दिया और जैसे ही चिकित्सक को लगा कि बच्चा दम तोड़ दिया है तो उसे वाड्रफनगर के सिविल अस्पताल में भर्ती कराने के नाम पर ले गया जहां बच्चे के पिता ने चिकित्सक से अपने बच्चे का अस्पताल में भर्ती कराने की बात कहीं तब चिकित्सक आशुतोष त्रिपाठी वहां से छोड़ कर चला गये चुकी

_पीड़ित परिवार दरअसल आदिवासी वर्ग के होने के नाते उन्हें समझ ही नहीं रहता है कि कौन डॉक्टर किस प्रकार का उपचार करता है इसी का फायदा उठाते हुए भोले भाले_

*आदिवासियों को खुलेआम लूटते हैं अवैध तरह से संचालित कर रहे क्लीनिक संचालक*

जब रोगी गंभीर रूप से ग्रसित हो जाता है और उसे नियंत्रित करने में असफल हो जाते हैं तब रोगी को अन्य अस्पतालों में भेज कर अपना पल्ला झाड़ते हुए मरने को छोड़ देते हैं जिसका प्रमाण है यह मामला जो सिविल अस्पताल से महज 1 किलोमीटर की दूरी स्थित है और चिकित्सक को पता था की मरीज गंभीर है उस स्थिति में 2 दिनों तक उपचार करना एवं मृत्यु उपरांत उसे सिविल अस्पताल छोड़ना साथ ही बच्चे के माता-पिता को सच्चाई से दूर रखना और जब अनजान परिजनों के द्वारा सिविल अस्पताल में भर्ती कराने के लिए चिकित्सकों के पास ले गये तो बच्चे को चिकित्सकों ने मृत घोषित करना एवं पोस्टमार्टम कराने के लिए बोलना और पत्रकारों के द्वारा बच्चे की मृत्यु को लेकर प्रभारी चिकित्सक से पूछने पर यह बोलना कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने पर मृत्यु का कारण स्पष्ट हो पाएगा बताना कई सवालों को खड़ा करता है प्रथम दृष्टि है यह की पीड़ित अशिक्षित एवं आदिवासी समुदाय का है जिसे चिकित्सकों के द्वारा प्रस्तुत की जाने वाले मेडिकल रिपोर्ट की बेहतर जानकारी नहीं होगी ऐसे में उस बच्चे की मृत्यु का जिम्मेदार कौन कैसे तय हो पाएगा और बच्चे का पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी संदेह खड़ा करता हुआ नजर आएगा ।

*_सवाल यह उठता है कि जब होम्योपैथिक चिकित्सक के पास एलोपैथिक उपचार करने की प्राथमिकता ही नहीं है उस स्थिति में उल्टी दस्त से ग्रस्त 8 माह के नवजात बच्चे का उपचार किस आधार पर किया गया । क्या
, होम्योपैथिक चिकित्सक का उपचार उस बच्चे की जिंदगी को जानबूझकर मौत के घाट उतारने का प्रयास नजर आ रहा है*_ ।

वाड्रफनगर खंड चिकित्सा अधिकारी की गोविंद सिंह की

मानें तो होम्योपैथिक चिकित्सक आशुतोष त्रिपाठी के पास गंभीर स्थिति के बच्चे का उपचार करने की पात्रता नहीं है ऐसे में होम्योपैथिक चिकित्सक के द्वारा किया गया उपचार जानबूझकर उस बच्चे के जिंदगी के साथ खिलवाड़ है

होम्योपैथिक चिकित्सा की माने तो उनके पास पीड़ित लगातार उपचार के लिए आया है पर उनके द्वारा उसे अस्पताल जाने की सलाह दी गई है एवं प्राथमिक उपचार हेतु ही दवा की गई है